शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

दागी अध्यादेश: राष्ट्रपति भवन की यात्रा...- शम्भु चौधरी

अचानक से दोपहर दो बजे श्री राहुल गांधी को प्रसव पीढ़ा होने लगी कि देश की सभी पार्टियाँ दागियों का बचाव करती है अतः इस अध्यादेश को फाड़कर फैंक देना चाहिए । इस बात को मीडिया के सामने कहते हुए राहुलजी के बाड़ी लेंग्वेज से यह सहज ही अंदाज लगाया जा सकता थ कि सबकुछ पहले से ही फिक्स था । कांग्रेस पार्टी के तमाम दिग्गजों ने तत्काल यू टर्न ले लिया और उसी प्रेस कांफ्रेंस में श्री अजय माखन ने भी यह एलान भी कर दिया कि राहुल बाबा जो बोलतें हैं वही कांग्रेस पार्टी की जुबान है ।

कोलकाता- 27 सितम्बर’2013

कल रात को जैसे ही राष्ट्रपति भवन से यह खबर सामने आई कि राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इस सिलसिले में कैबिनेट के तीन मंत्रियों जिनमें कानून मंत्री श्री कपिल सिब्बल, लोकसभा में सदन के नेता और गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे और संसदीय कार्यमंत्री श्री कमलनाथ को तलब किया है । इस अध्यादेश को लेकर राष्ट्रपति जी की नाराजगी छन-छन कर बहार आने लगी । देश के तमाम अखबारों में इस बात की खबर भी छप चुकी कि श्री प्रणब मुखर्जी ने इस बिल को लेकर अपनी कुछ शंकाओं का इजहार इन मंत्रियों के सामने कर दिया है । भले ही इन तीनों काँग्रेसी नेताओं ने इस बात का उजागर ना किया हो पर इनके चेहरे के भाव इस बात की तरफ साफ संकेत दे रहे थे कि इस बिल को लेकर राष्ट्रपति जी की चिंताएं आम होने से पहले या उनके द्वारा इस अध्यादेश को वापस करने से पहले कोई एक दूसरा रास्ता निकाल जाए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।

इस दागी अध्यादेश को लेकर देश भर में विरोध खुल कर सामने आ रहा था । जिसका लाभ सीधे तौर पर भाजपा के खेमे को मिलना तय सा लग रहा था । हांलाकि भाजपा इस दागी बिल को लेकर राज्यसभा में लचिला रूख अपना चुकी है। जिस प्रकार भाजपा ने पिछले दिनों लोकपाल बिल या सूचना के अधिकार में राजनीति पार्टियों द्वारा जानकारी देने के मामले से जूड़े बिल या खाद्य सुरक्षा का बिल हो सभी मामलों में अपने चरित्र के अनुसार दोगली बातें करती रही है ने इस बिल पर भी कल शाम राष्ट्रपति महोदय से मिलकर अपना प्रतिवाद जताते हुए महामहिम से इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर ना करने का अनुरोध की थी ।

मौका अच्छा था देश के करोड़ों लोगों की भावना से जुड़ा मुद्दा भी था । दागियों को बचाने के प्रश्न पर जब ये खुद को असफल होते नजर आए तो इन्होंने इस मुद्दे का राजनैतिक लाभ लेने के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जिस प्लान की भूमिका बनी कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में दोपहर होते-होते यह तय कर लिया कि इस अध्यादेश का राजनीति लाभ लेने के लिए राहुल गांधी को ठीक राष्ट्रपति जी के विचारों के अनुसार जनता के सामने प्रस्तुत किया जाए ताकी श्री राहुल गांधी रातों-रात देश के हीरो बनकर जनता के सामने उभर सके ।

आज दोपहर को इस प्लान को सभी कांग्रेसियों ने मंजूरी प्रदान कर दी और अचानक से दोपहर दो बजे श्री राहुल गांधी को प्रसव पीढ़ा होने लगी कि देश की सभी पार्टियाँ दागियों का बचाव करती है अतः इस अध्यादेश को फाड़कर फैंक देना चाहिए । इस बात को मीडिया के सामने कहते हुए राहुलजी के बाड़ी लेंग्वेज से यह सहज ही अंदाज लगाया जा सकता थ कि सबकुछ पहले से ही फिक्स था । कांग्रेस पार्टी के तमाम दिग्गजों ने तत्काल यू टर्न ले लिया और उसी प्रेस कांफ्रेंस में श्री अजय माखन ने भी यह एलान भी कर दिया कि राहुल बाबा जो बोलतें हैं वही कांग्रेस पार्टी की जुबान है । चलो राहुल बाबा को इससे चुनावी फायदा होगा कि नहीं यह तो वक्त हा बता पायेगा हाँ! उच्चतम न्यायलय के लिए एक शुभ संदेश तो अवश्य है कि उनके विचारों का गला अभी नहीं घोंटा जा सका है । संसद को अपवित्र करने की साज़िश का जिस प्रकार पर्दाफ़ाश हुआ है इससे सभी कांग्रेसियों को यह तो आभास हो गया होगा कि सक्रिय राजनीति से अलग कर श्री प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन में भेजना उनके लिए कितना मंहगा हो चुका है।-

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