शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

हिन्दू-मुसलमानों को बांटती ताकतें - शम्भु चौधरी

जब भी कोई दंगा होगा, कोई न कोई नंगा होगा,
हिन्दू-मुस्लिम ना हो भाई ऐसा ही कोई बंदा होगा।

देश के मुसलमानों को हिन्दूओं से दूरी बनाने के बदले उन्हें ऐसे अवसर तलाशने चाहिए कि जो दूरियाँ सेकुलरवादी ताकतों ने बना दी है उसे कैसे कम किया जा सके । हमें मिलकर दोनों समुदाय के बीच के बिचौलियों को हटाकर भारत के विकास व अपने बच्चों की शिक्षा पर केंद्रित होने की जरूरत है। यह तभी संभव हो सकता है जब मुसलमान सेकुलरवादी ताकतों को उखाड़ फैंकने के लिए खुद को प्रस्तुत कर दे तो पूरे राष्ट्र में उनके प्रति स्वतः सम्मान पैदा हो जाएगा ।

उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर की घटना ना सिर्फ एक दुर्भगयजनक व दुखद घटना है । यह घटना इस बात को प्रमाणित करने में सझम है कि सेकुलरवादी चौला पहनकर मुसलमानों को जो लोग मुर्ख बनाते रहें हैं दरअसल वे मुसलमानों की सुरक्षा के लिए नहीं, उनको हिन्दुओं से दूरी बनाये रखने के लिए है । उत्तरप्रदेश में यदि दोनों समुदाय के बीच सामाजिक ताने-बाने तौड़े ना जाते तो जिस छोटी सी घटना ने, जो कि भारतवर्ष में आम घटना मानी जाती है को लेकर इतना बड़ा नुकसान दोनों समुदाय को नहीं उठाना पड़ता । लगातार 10 दिनों तक शहर में तनाव बना रहा, जातीय व धार्मिक धूव्रीकरण आस-पास के गाँवों में होता रहा । इस बीच ना सिर्फ स्थानीय प्रशासन, लखनऊ भी सोता रहा । अब यही सेकुलरवादी ताकतें कभी इसके लिए जातीय संघर्ष की बात दौहराती है तो कभी इसके लिए सांप्रदायिक ताकतों को दंगा भड़काने के लिए जिम्मेदार मानती है । अर्थात दिल्ली में बैठी कांग्रेस की सेकुलरवादी सरकार और उत्तरप्रदेश की सेकुलरवादी सरकार हाथ पर हाथ धर कर तमाशा देखती रही । शायद यह सोचती रही होगी कि दंगे फैलने के बाद मुसलमानों को पुनः बहलाया या फुसलाया जा सकेगा । मानों मुसलमानों को ऐन-केन-प्रकारेण डराये रखना सेकुलरवादी ताकतों का उद्देश्य बन गया हो । ना सिर्फ उद्देश्य मुसलमानों को हिन्दूवादी विचारधारा से अलग करते हुए देश की सत्ता पर खुद को स्थापित कर सामाजिक सौहार्द को बांटे रखना ताकि दोनों समुदायों के बीच आपसी संवाद न बन सके ।

कुल मिलाकर हिन्दू और मुसलमानों के बीच आपसी संवाद के रूप में यह सेकुलरवादी ताकतें खुद को बिचौलिये के रूप में रखना चाहती है । देश आज परिवर्तन की तरफ जाने को बैताब हो रहा है। वहीं सेकुलरवादी ताकतें देश में दंगों की आड़ में पुनः मुसलमानों के वोट बैंक पर कब्जा जमाने की हौड़ में लगी है । इन सब के बीच कहीं मुसलमान मारा जा रहा है तो कहीं हिन्दू ।

सीयासी पार्टी सत्ता को प्राप्त करने के लिए अपने भ्रष्टाचार के कार्यकाल को मोदी बनाम सेकुलरवाद की तरफ ले जाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है । अचानक से देश के गृहमंत्रीजी का एक बयान आता है कि देश के कई राज्यों में दंगा होने की संभावना है । दरअसल देश में कोई दंगा-वंगा नहीं होने का यह इन लोगों की सोची समझी साजिस है कि इससे मुसलमानों के बड़े वर्ग को हिन्दूओं के विचारों से अलग-थलग कर ‘मोदी की लहर’ को किसी प्रकार से रोका जा सके ।

मुजफ्फरनगर की घटना ना सिर्फ मुसलमानों के लिए चिंता का विषय है, हिन्दुओं के परिवार भी कई गाँवों से पलायन कर चुके हैं । क्षति का पैमाना इतना बड़ा है कि इसे पाटने में कई साल लग सकते हैं । सामाजिक तानें-बानें बिखर से गए हैं । 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व ही दोनों समुदाय को आमने-सामने खड़ा कर दिया है । ऐसे में इन तथाकथित सेकुलरवादी ताकतों से सत्ता छीन कर मोदी के नेतृत्व में दोनों समुदायों को एक जुट होकर देश में एक नए वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए । यह अवसर ना सिर्फ देश के हित में होगा जो लोग सत्ता प्राप्त करने के लिए मुसलमानों को वोट बैंक समझते हैं उनको करारा तमाचा भी होगा ।

देश के मुसलमानों को हिन्दूओं से दूरी बनाने के बदले उन्हें ऐसे अवसर तलाशने चाहिए कि जो दूरियाँ सेकुलरवादी ताकतों ने बना दी है उसे कैसे कम किया जा सके । हमें मिलकर दोनों समुदाय के बीच के बिचौलियों को हटाकर भारत के विकास व अपने बच्चों की शिक्षा पर केंद्रित होने की जरूरत है। यह तभी संभव हो सकता है जब मुसलमान सेकुलरवादी ताकतों को उखाड़ फैंकने के लिए खुद को प्रस्तुत कर दे तो पूरे राष्ट्र में उनके प्रति स्वतः सम्मान पैदा हो जाएगा।


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