रिहायशी और औद्योगिक क्षेत्र के विकास के नाम पर किसानों की जमीनों के जबरन अधिग्रहण के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मौजूदा भूमि अधिग्रहण कानून एक धोखा है जो कुछ मानसिक रूप से बीमार लोगों के दिमाग की उपज है। इस कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए। अदालत ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ में चमड़ा उद्योग विकसित करने के नाम पर राज्य सरकार की ओर से किए गए 82 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के मामले में फैसला सुरक्षित करते हुए की।
न्यायाधीश जीएस सिंघवी और न्यायाधीश एचएल दत्तू की पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सुधार के लिए जल्द कदम नहीं उठाए गए तो अगले पांच सालों में निजी जमीनों पर बाहुबली लोगों का कब्जा होगा। इसी अराजकता के चलते हर जगह जमीन के दाम भी आसमान छू रहे हैं। अब यह अधिनियम एक धोखा बन चुका है। ऐसा लगता है कि यह उन मानसिक रूप से बीमार लोगों ने तैयार किया है जिनका आम आदमी के कल्याण और हितों से कोई लेना-देना नहीं है।
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