कोलकाता, दिनांक 6जून 2011;
आज निम्न तीन बिन्दुओं पर आपसे बात करूँगाः
1. भाजपा का अन्धापन,
2. बाबा रामदेव बनाम लोकपाल बिल एवम्
3. लोकपाल विधयेक पर सरकार की मंशा।
1. भाजपा का अन्धापनः
इस देश में गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, मंहगाई, महिलाओं पर अत्याचार, अराजकता, सांप्रदायिकता, कुपोषन, चिकित्सा, आर्थिक अपराधिकरण, असामाजिक आचरण वालों का राजनैतिक संरक्षण, शिक्षा, किसानों द्वारा आत्महत्या, किसानों की उपजाओ जमीन का व्यवसायीकरण, अनैतिक अधिग्रहण जैसे सैकड़ों मुद्दे भारत के कण-कण में विखरे पड़े हैं, परन्तु पता नहीं संसद के अन्दर पैसे लेकर प्रश्न उठाने वाले भाजपा सांसदों को ये मुद्दे क्यों नहीं वक्त से पहले दिखाई देते। जब कोई इन मुद्दों पर आन्दोलन करता है तो भाजपा वाले सबसे पहले यहाँ पहुँच कर अपनी छवि बनाने का प्रयास करती रही है। रामजन्म भूमि विवाद से लेकर भ्रष्टाचार सहित सभी आन्दोलनों में भाजपा का एक ही चरित्र देखने को मिला कि वो अपने 90 साल के प्रधानमंत्री प्रत्यासी को लेकर लकड़ी से घास खिलाने का काम करती रही है। कभी जिन्ना के नाम पर तो कभी राम के नाम सत्ता का स्वाद लेने की नकाम दौड़ जारी है। पिछले दिनों सरकार ने पेट्रोल के 5 रु. दाम बढा दिये, भाजपा ने एक दिन सांकेतिक हल्ला कर लोगों को सड़कों पर परेशान किया। फिर वही ढाक के तीन पाँत। क्या हुआ? बाबा रामदेव को सबसे पहले मलहम लगाने दौड़ने चाली भाजपा के नेताओं से एक सीधा सा प्रश्न है कि नियत साफ है तो संसद से सारे सदस्यों को इस्तीफा देने को कह कर देश में मध्याविधि चुनाव के लिए जनता के बीच में जाएं और एक शपथ लें कि वे भ्रष्टमुक्त राष्ट्र की कल्पना को मुर्तरूप देने के लिए देश की जनता के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलेगी।
2. बाबा रामदेव बनाम लोकपाल बिल
अब बाबा को यह स्वीकार कर लेना चाहिये कि भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने के लिए सभी को साथ लेने की जरूरत है। जिसमें किसी भी राजनैतिक दल का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सहयोग इस लड़ाई को कमजोर करना है। बाबा को मान लेना चाहिये कि यदि राजनेताओं में इतनी ही ईमानदारी हुई होती तो बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, अरविन्द केजरीवाल या किरण बेदी की कोई जरूरत नहीं होती। देश को आपलोगों से काफी अपेक्षाऐं हैं। बस एक मंच से एक होकर लड़ने कि हमें जरूरत है। आज से ही आप एह ऐलान कर दें कि यह देश की लड़ाई है इसे हम सब मिलकर लड़ेगें।
3. लोकपाल विधयेक पर सरकार की मंशाः
जिस प्रकार कांग्रेसी सरकार के शातिर दिमाग ने बाबा रामदेव को अपने जाल में फांस अपने कांटे को निकालने के लिए जनता के दिमाग का 'आईवास' कर रामदेवजी क आन्दोलन को कुचलने की साजिश रची और आंशिक सफल भी रहे माना जा सकता है। हमको यह मान लेना चाहिये कि लोकपाल विधयेक पर सरकार की मंशा को लेकर जनता के बीच जाने की जरूरत है। इसके लिए हमें अब मध्याविधि चुनाव का मार्गा अपनाने की तरफ कदम बढा़ना होगा।
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