गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

कन्यादान -शम्भु चौधरी

एक साइकिल, एक रेडियो,
कुछ कपडे़, थोडे़ गहने,
बारातियो की खातीर-दारी-
दामाद की चेन, सास की साडी़,
समधी की तामीरदारी
मेहमानों की आवभगत,
पंडितों की दान-दक्षिणा
ऐसा लगता था मानो
एक माँ-बाप के लिये
खून देने के बराबर था,
बेटी का ब्याह करना।
माँ-बाप का धर्म जो ठहरा
कन्यादान करना।
-शम्भु चौधरी, कोलकाता-७००१०६, मोब: ९८३१०८२७३७

1 टिप्पणी: