सोमवार, 28 जुलाई 2008

शम्भु चौधरी की चार झणिका

1. कलतक उस बुढ़िया ने
बहु पर जुल्म ढहाये
आज बुढ़ापे में
बहु ने किस्तों में चुकाएं।


2. उसने पहाड़ को इस तरह
नीचा दिखाया,
पाहड़ पर खड़ा हो
अपना झंण्डा लहराया।


3. देखो ये कैसी रीत आई
उसने खुद की इज्जत देकर
अपनी
इज्जत बचाई ।


4. एक दल वाले ने
दूसरे दल से हाथ मिलाया
फिर दोनों ने मिलकर
संसद को 'दलदल' बनाया ।

[shambhu choudhay]

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