अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस की पूर्व संध्या पर भाषा चेतना समिति के कार्यक्रम को संबोधित करते हुऎ बंगाल के भूमि व भूमि सुधार मंत्री माननीय अब्दुल रज्जाक मोल्ला ने एक नये विवाद को जन्म दे दिया, पहले ही महाराष्ट्र के श्री राज ठाकरे उत्तर भारतीय ,बाद में उ.पी और बिहार के लोग, और फिर छ्ठ पूजा के ऊपर अपना गुस्सा जाहिर कर चुके थे, वह विवाद अभी थमा ही नहीं था, कि पश्चिम बंगाल के मंत्री महोदय ने मीडिया वाले को एक नया मसला थमा दिया, जब से मानणीय मुख्यमंत्री श्री बुद्धदेव बाबू ने दूसरी बार शपथ ग्रहण लिया, तब से पता नहीं इनकी सरकार को क्या ग्रहण लग गया, कि वे जब-जब विकास कि बात करते हैं, कोई न कोई नया बबंडर खड़ा हो जाता है, और इनके विकास की पटरी लाइन से ऊतरकर खेतों, नदी-नाले, या फिर मीडिया में दौड़ने लगती है। आइये देखते हैं ऎसी क्या खास बात थी, भूमि सुधार मंत्री माननीय अब्दुल रज्जाक मोल्ला के बयान में जिसको लेकर राज ठाकरे भी फिंके पड़ने लगे, जब राज ठाकरे ही फिंके पड़ गये तो बाल ठाकरे को कौन पुछता है। बालासाहेब को इतना तो सब्र रखना ही चाहिये, कि लिखने से पहले असम, चनैई, बंगाल, उडिसा में छठ पूजा के समय निकलकर देख आना चाहिये कि छठ पूजा सिर्फ बिहारी समुदाय ही नहीं मनाते, मारवाड़ी, बंगाली, यहाँ तक पंजाब, गुजरात, मराठा, दक्षिण भारत के कई घरों में भी श्रद्धा से मनाई जाती है, जिस श्रद्धा से महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मनाया जाता है। भारत किसी एक सांस्कृति से नहीं सबकी संस्कृति को लेकर चलता है, इन जैसे लोग ही, राजनीति के दुकानदार कई प्रान्तों में फल-फूल रहें है, कहीं जात-पात के नाम पर तो कहीं धर्म के नाम पर। इस बात में कोई दो मत नहीं कि महाराष्ट्र प्रान्त में जाकर लालू जी, मुलायम जी, और मायावती जी को जातिवाद की राजनीति नहीं करनी चाहिये, इससे विवाद को जन्म ही दिया जा सकता है।
अब बंगाल में कल की बात ही लें बंगाल के भूमि सुधार मंत्री माननीय अब्दुल रज्जाक मोल्ला ने कल ऎसी कोई नई बात नहीं कही जिसको लेकर मारवाड़ी समाज को उत्तेजित होना पड़े, अरे भाई अभी तो ये बंगाल की वफादारी में लगे है, ये तो असली बंगाली हैं, और मारवाड़ी "मेड़ा" ?
पहले देखते हैं इनके श्री मूख ने क्या कहा-
"जारा मारवाड़ी, तारा सब किछु पोयसा दिए मैनेज कोरे निच्चे, ऐरा मैनेज मास्टर. बांगालीरा किछु कोरते पारचे ना.ओरा कोनो काज कोरते गेले 10 परसेंट मनी रेखे दाय. पोयसा दिए जे कोनो काज कोरिये नाय."अर्थात "जो मारवाड़ी हैं, वो सब कुछ पैसे देकर मैनेज कर लेते हैं. ये लोग मैनेज मास्टर हैं. बंगाली लोग कुछ नहीं कर पाते हैं. वो लोग कोई भी काम शुरू करते समय 10 परसेंट मनी रख देते हैं. पैसे देकर कोई भी काम करवा लेते हैं."
सिर्फ इतना ही नहीं आगे भी उन्होंने कहा कि " बंगाली 1-2 परसेंट ही ले-देकर काम चला लेते थे" मंत्री महोदय शायद भूल चुके होगें कि स्व. इन्दीरा गांधी के समय बोफोर्स दलाली का बहुत बड़ा मामला श्री विश्वनाथ सिंह के पिटारे से जिन बन बहार निकला था, सरकार कि हिला कर रख दिया, वहां पर कौन थे? इस घुस देने लेने की बात आपको इस लिये अच्छी नहीं लगी कि आप भूमि सुधार मंत्री होते हुऎ भी , बंगाल की जमीन पर आपको कोई घुस देने नहीं जाता। अच्छा एक बात पुछता हूँ, ये सलीम कौन है, जिसने कोलकाता में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट लाने की घोषणा की थी , सरकार ने उसे बहुत बड़ा भू-भाग दिया था, उसका अब क्या हाल है, और उस प्रोजेक्ट का क्या हाल है, आप तो भू मालिक हैं जरा बताइयेगा कि उसे अब कौन बना रहा है, सरकार ने उसे कितने में बैची थी, बाद में कितने में बिका। ये "सहारा" वाले कौन है, शायद मारवाड़ी ही होंगे है? आप जरा पता लगाईयेगा कि DLF वाले के पास इतना धन कहाँ से आ गया, इण्डिया बुल्ल रिलेटर, एमार, ये सब तो मारवाड़ी ही हैं क्यों ठीक बात हैं न , बंगाली से सहानुभुति लेने के किये कुछ तो आपको कहना ही होगा, जमीन को लेकर पहले ही सिंगुर, नन्दीग्राम में आपलोगों की किरकरी हो चुकी है।
अरे भाई बंगाल में भाषा चेतना समिति का कार्यक्रम हो रहा था, जमीन या घुस पर शोध नहीं हो रहा था। देखिये भाषा चेतना समिति के लोगों ने कितनी अच्छी बात कही: " इमानूल हक साहब ने कहा- जो प.बंगाल में रहना चाहता हो, उसे बंगला सिखना पड़ेगा। दूसरे बड़े नेता श्री रतन भट्टाचार्या ने कहा कि- मारवाड़ी लोग फैक्टरी के नाम पर जमीन लेकर उसे सॉपिंग मॉल बनाते जा रहें इससे बंगाल के बच्चों को काम नहीं मिल रहा। इन्होंने तो लालू को भी नहीं छोड़ा- आगे कहा कि बिहारी बड़ी संख्या में रेल में भर्ती हो रहे हैं बड़ी संख्या में हिन्दी भाषी लोग हमलोगों का काम छिन रहें हैं। अब बात भाषा चेतना समिति की हो, और अपने मन की बात भी नहीं कहे ,तो भला कब कहेगें, आपको इनकी भावना की कद्र करनी चाहिये, कि इन लोगों ने खुलकर अपने मन के भड़ास को निकाला। सिर्फ एकेले ही बाला साहेब ठाकरे, लालू जी, मुलायम जी, राज ठाकरे जी ही देश को थोड़े चलायेगें, इस श्रेणी में बंगाल का नाम नहीं आयेगा तो इतिहासकार कहीं फिर न लिख दे कि देश कि प्रगति में बंगाल पीछे रह गया। वैसे भी वामपंथियों में इस बहस को लेकर मतभेद सामने आया है, पहली बार विमान बोस ने बात काबिले तारीफ़ कही - "बंगाल की यह संस्कृति नहीं रही है", वैसे शायद विमान बाबू को याद दिला देना चाहता हूँ कि बंगाल की संस्कृति में क्या है क्या नही, परन्तु माकपा के सिद्धान्त में इस तरह के लोगों का कोई स्थान नहीं है, आपको यदि मो, सलीम साहेब जैसे लोग न मिले तो जगह को खाली रहने दें। -शम्भु चौधरी
नोट: मारवाड़ी समाज की प्रतिनिधि संस्था अ.भा.मारवाड़ी सम्मेलन ने एक प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा है कि: भूमि सुधार मंत्री श्री अब्दूल रज्जाक मौल्ला की कथित टिप्पणी पर उन्हेंने स्पष्ट किया कि उनकी कथित टिप्पणी को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। श्री मौल्ला ने अपने वक्तव्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने यह कहा था मारवाड़ी समुदाय मुख्यतः व्यवसाय में है अपने व्यवसाय को अच्छा ‘‘मैनेज’’ करना जानते हैं। श्री मौल्ला ने कहा इस ‘‘मैनेज’’ ‘शब्द को मीडिया द्वारा गलत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। श्री मौल्ला ने श्री शर्मा से कहा कि वे मारवाड़ी समाज सहित सभी समाज की इज्जत करते हैं एवं जातिगत तथा साम्प्रदायिक आधारित टिप्पणी में विश्वास नहीं करते । उन्होंने कहा कि मेरा अभिप्राय मारवाड़ी समाज की भावना को ठेस पहुँचाना कतई नहीं था। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन, मंत्री महोदय के स्पष्टीकरण पर संतोष व्यक्त करते हुए ऐसे संवेदनशील विषय पर मंत्रियों द्वारा टिप्पणी में संयम एवं सावधानी बरतने की अपील करती है। सम्मेलन मारवाड़ी समाज से भी मंत्री महोदय के स्पष्टीकरण एवं ठेस नहीं पहुंचाने के वक्तव्य को सही भावना के साथ लेने की अपील करता है
अब बंगाल में कल की बात ही लें बंगाल के भूमि सुधार मंत्री माननीय अब्दुल रज्जाक मोल्ला ने कल ऎसी कोई नई बात नहीं कही जिसको लेकर मारवाड़ी समाज को उत्तेजित होना पड़े, अरे भाई अभी तो ये बंगाल की वफादारी में लगे है, ये तो असली बंगाली हैं, और मारवाड़ी "मेड़ा" ?
पहले देखते हैं इनके श्री मूख ने क्या कहा-
"जारा मारवाड़ी, तारा सब किछु पोयसा दिए मैनेज कोरे निच्चे, ऐरा मैनेज मास्टर. बांगालीरा किछु कोरते पारचे ना.ओरा कोनो काज कोरते गेले 10 परसेंट मनी रेखे दाय. पोयसा दिए जे कोनो काज कोरिये नाय."अर्थात "जो मारवाड़ी हैं, वो सब कुछ पैसे देकर मैनेज कर लेते हैं. ये लोग मैनेज मास्टर हैं. बंगाली लोग कुछ नहीं कर पाते हैं. वो लोग कोई भी काम शुरू करते समय 10 परसेंट मनी रख देते हैं. पैसे देकर कोई भी काम करवा लेते हैं."
सिर्फ इतना ही नहीं आगे भी उन्होंने कहा कि " बंगाली 1-2 परसेंट ही ले-देकर काम चला लेते थे" मंत्री महोदय शायद भूल चुके होगें कि स्व. इन्दीरा गांधी के समय बोफोर्स दलाली का बहुत बड़ा मामला श्री विश्वनाथ सिंह के पिटारे से जिन बन बहार निकला था, सरकार कि हिला कर रख दिया, वहां पर कौन थे? इस घुस देने लेने की बात आपको इस लिये अच्छी नहीं लगी कि आप भूमि सुधार मंत्री होते हुऎ भी , बंगाल की जमीन पर आपको कोई घुस देने नहीं जाता। अच्छा एक बात पुछता हूँ, ये सलीम कौन है, जिसने कोलकाता में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट लाने की घोषणा की थी , सरकार ने उसे बहुत बड़ा भू-भाग दिया था, उसका अब क्या हाल है, और उस प्रोजेक्ट का क्या हाल है, आप तो भू मालिक हैं जरा बताइयेगा कि उसे अब कौन बना रहा है, सरकार ने उसे कितने में बैची थी, बाद में कितने में बिका। ये "सहारा" वाले कौन है, शायद मारवाड़ी ही होंगे है? आप जरा पता लगाईयेगा कि DLF वाले के पास इतना धन कहाँ से आ गया, इण्डिया बुल्ल रिलेटर, एमार, ये सब तो मारवाड़ी ही हैं क्यों ठीक बात हैं न , बंगाली से सहानुभुति लेने के किये कुछ तो आपको कहना ही होगा, जमीन को लेकर पहले ही सिंगुर, नन्दीग्राम में आपलोगों की किरकरी हो चुकी है।
अरे भाई बंगाल में भाषा चेतना समिति का कार्यक्रम हो रहा था, जमीन या घुस पर शोध नहीं हो रहा था। देखिये भाषा चेतना समिति के लोगों ने कितनी अच्छी बात कही: " इमानूल हक साहब ने कहा- जो प.बंगाल में रहना चाहता हो, उसे बंगला सिखना पड़ेगा। दूसरे बड़े नेता श्री रतन भट्टाचार्या ने कहा कि- मारवाड़ी लोग फैक्टरी के नाम पर जमीन लेकर उसे सॉपिंग मॉल बनाते जा रहें इससे बंगाल के बच्चों को काम नहीं मिल रहा। इन्होंने तो लालू को भी नहीं छोड़ा- आगे कहा कि बिहारी बड़ी संख्या में रेल में भर्ती हो रहे हैं बड़ी संख्या में हिन्दी भाषी लोग हमलोगों का काम छिन रहें हैं। अब बात भाषा चेतना समिति की हो, और अपने मन की बात भी नहीं कहे ,तो भला कब कहेगें, आपको इनकी भावना की कद्र करनी चाहिये, कि इन लोगों ने खुलकर अपने मन के भड़ास को निकाला। सिर्फ एकेले ही बाला साहेब ठाकरे, लालू जी, मुलायम जी, राज ठाकरे जी ही देश को थोड़े चलायेगें, इस श्रेणी में बंगाल का नाम नहीं आयेगा तो इतिहासकार कहीं फिर न लिख दे कि देश कि प्रगति में बंगाल पीछे रह गया। वैसे भी वामपंथियों में इस बहस को लेकर मतभेद सामने आया है, पहली बार विमान बोस ने बात काबिले तारीफ़ कही - "बंगाल की यह संस्कृति नहीं रही है", वैसे शायद विमान बाबू को याद दिला देना चाहता हूँ कि बंगाल की संस्कृति में क्या है क्या नही, परन्तु माकपा के सिद्धान्त में इस तरह के लोगों का कोई स्थान नहीं है, आपको यदि मो, सलीम साहेब जैसे लोग न मिले तो जगह को खाली रहने दें। -शम्भु चौधरी
नोट: मारवाड़ी समाज की प्रतिनिधि संस्था अ.भा.मारवाड़ी सम्मेलन ने एक प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा है कि: भूमि सुधार मंत्री श्री अब्दूल रज्जाक मौल्ला की कथित टिप्पणी पर उन्हेंने स्पष्ट किया कि उनकी कथित टिप्पणी को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। श्री मौल्ला ने अपने वक्तव्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने यह कहा था मारवाड़ी समुदाय मुख्यतः व्यवसाय में है अपने व्यवसाय को अच्छा ‘‘मैनेज’’ करना जानते हैं। श्री मौल्ला ने कहा इस ‘‘मैनेज’’ ‘शब्द को मीडिया द्वारा गलत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। श्री मौल्ला ने श्री शर्मा से कहा कि वे मारवाड़ी समाज सहित सभी समाज की इज्जत करते हैं एवं जातिगत तथा साम्प्रदायिक आधारित टिप्पणी में विश्वास नहीं करते । उन्होंने कहा कि मेरा अभिप्राय मारवाड़ी समाज की भावना को ठेस पहुँचाना कतई नहीं था। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन, मंत्री महोदय के स्पष्टीकरण पर संतोष व्यक्त करते हुए ऐसे संवेदनशील विषय पर मंत्रियों द्वारा टिप्पणी में संयम एवं सावधानी बरतने की अपील करती है। सम्मेलन मारवाड़ी समाज से भी मंत्री महोदय के स्पष्टीकरण एवं ठेस नहीं पहुंचाने के वक्तव्य को सही भावना के साथ लेने की अपील करता है
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