रविवार, 22 दिसंबर 2024

प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।

 प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति

-शम्भु चौधरी, कोलकाता-

"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता और अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय प्रमोद्ध सराफ जी का स्वर्गवास कल दिनांक 22/12/2024 को माँ कामख्या की नगरी गुवाहाटी शहर में हो गया, आज दिनांक 23/12/2024 को उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।

Pramodh Saraf, Gowahati

इस खबर से देशभर में मरवाड़ी युवा मंच से जुड़े हजारों युवाओं के मध्य शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम यात्रा में शामिल होने और उनके दर्शन के लिए विभिन्न शहरों से युवा गुवाहाटी आने लगे।

मेरी उनसे पहली मुलाक़ात मारवाड़ी युवमंच के पहले अधिवेशन सन 1985 में, जो गुवाहाटी के गौशाला मैदान में सम्पन्न हुआ था, के अवसर पर मुलाक़ात हुई थी।
 
अपनी प्रतिभा से युवाओं को अपनी तरफ प्रभावित कर उन्हें समाज में व्याप्त कुरुतियों के प्रति सजग करना, मारवाड़ी समाज के युवाओं को राष्ट्र निर्माण के प्रति उनके योगदानों को सही दिशा प्रदान कर, समाज के युवाओं को अपने परिवार, फिर समाज और राष्ट्र के प्रति उनकी जबाबदेही तय कर दी।
उनका एक कोटेशन मैं हमेशा याद किया करता हूँ - "समाज के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा, पाने के लिए सारा संसार पड़ा है।"  
यह बात तब कि है जब समाज के व्यापारी वर्ग सरकारी अदिकारीयों के सामने हाथ जोड़े खड़े हो कर अपने कारोबार की भीख मांगते थे और वे अधिकारी मारवाड़ी समाज के उधमीयों को चोर बोलते नहीं थकते।

प्रमोद्ध जी का साफ मानना था कि समाज को सिर्फ एक क्षेत्र में अपनी ताकत नहीं झोकनी चाहिए। समाज के युवाओं में हमेशा नई संभवना तलाशते रहने की जरूरत है।
सजगता समाज में विभिन्न स्तरों पर लाने की बात करते थे भाई जी के नाम से जाने, जाने लगे थे, प्रमोद्ध जी सराफ।
उनको कई जगह "प्रमोद सराफ" भी लिखा जाता रहा है। 
आप *सजगता* को लेकर भी काफ़ी सजग रहते थे। दिखावे की सजगता से युवाओं को हमेशा सावधान रहने को कहा करते थे।
उनके व्यक्तित्व में इतना प्रभाव था कि कोई भी व्यक्ति उनके चुम्बक्तव एरा में जाने के बाद उनसे अलग नहीं हो सकता था।

उनके विचार आज भी उतने जीवित हैं जो ना सिर्फ समाज के युवाओं को, किसी भी देश के युवाओं को सजगता के अंदर छुपे गूढ़ तत्व को खोज निकालने का मार्ग दे सकता है।

मारवाड़ी समाज ऐसी महान आत्मा को पाकर खुद को धन्य मानती है। 
मेरा उनके साथ पारिवारिक रिस्ता सा हो गया था। मेरी शादी में उनका 1988 में गुवाहाटी से कोलकाता आना जब वे मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे तब से आज तक उनका अपनत्व मेरे, मेरे परिवार, बच्चों को लेकर बना रहता था। गत रात ही मुझे अचानक से ऐसा एहशास हुआ कि भाई जी मुझे याद कर रहें हैं। 
आज उनका समाचार मेरे रोम-रोम को विचलित कर गया।
राजकुमारी भाभी जी पर क्या गुजरती होगी, मैं समझ सकता हूँ। भगवान ने यह निमित्त कर दिया है। हर आत्मा को अपनी प्रक्रिया से गुजरना ही होगा।
इस दुःख की इस घड़ी में मैं उनके परिवार, मंच परिवार के हजारों युवाओं के साथ खड़ा पाता हूँ। 
भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। इन्हीं शब्दों के साथ।
शम्भु चौधरी, कोलकाता।
23/12/2024

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