आज भारत में फिर जगेगी क्रांति की आवाज है,
वही ‘बिहार’ फिर जगा है,
लेकर हाथ में मशाल है।
इसी भूमि पर जन्म लिये थे,
वीर कुवंर, गांधी, सुभाष और जयप्रकाश है।
कुछ गद्दारों ने मिलकर,
किया ‘बिहार’ बर्बाद है।
कमर तौड़ डालो उन
गद्दारों का,
जो बात-बात में करते कहीं,
हिन्दू-मुस्लीम,
कहीं राजपूत-भूमियार,
कहीं कुर्मी और चमार है।
इनका धर्म जो पूछो तो,
ये हैं - सारे के सारे गद्दार
ना तो इनका धर्म है कोई,
ना इनका कोई गांव है।
ना इनका दोस्त है कोई,
ना इनका कोई परिवार है।
झूठ-फरैब, चलाकी-मक्कारी,
जुमला और बेईमानी
बात-बात में भ्रमित करना
इनका बस यही व्यवसाय है।
आज मौका है पलट के मारो
पैदल जिसने दौड़ाया था हमको,
उसको, दौड़ा-दोड़ा के मारो
जिसने हमारा रोजगार जो छिना
उसको अपने वोट से मारो।
जिसने हमारे बच्चों को अनाथ किया,
उसको अपने वोट से मारो।
जिसने हमारी फसल को छिना
उसको अपने वोट से मारो।
जिसने हमको भूखा मारा,
उसको अपने वोट से मारो।
जिसने हमको सड़कों पर प्यासा मारा,
उसको अपने वोट से मारो।
जिसके मुह में आवाज नहीं थी,
जो बरसा रहा था भूखों पर फूल
उसको अपने वोट से मारो।
जो लूट रहा है बहनों की इज्जत।
उसको अपने वोट से मारो।
जो मार रहा है गोली हम पर
उसको अपने वोट से मारो।
आज भारत में फिर जगेगी क्रांति की आवाज है,
वही ‘बिहार’ फिर जगा है,
लेकर हाथ में मशाल है।
इसी भूमि पर जन्म लिये थे,
वीर कुवंर, गांधी, सुभाष और जयप्रकाश है।
-शंभु चौधरी
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