कोलकाता 03 जनवरी 2019 ( शंभु चौधरी ) - नये साल में प्रधानमंत्री मोदी का प्रिपेड भाषण एक खास संवाददाता के माध्यम से देश की जनता को सुनने को व प्रिंट मीडिया के माध्यम से पढ़ने को मिला । मोदी जी ने यह पहले से ही मान लिया कि 2019 का आगामी लोकसभा चुनाव में जनता का वही प्यार मिलेगा जो उन्हें 2014 के लोकसभा के चुनाव में मिला था, परन्तु मोदी जी यह भूल गये कि ठीक चंद महीनों के बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी हुए थे मोदी जी अपनी तमाम ताकत, भाजपा, आरएसएस, बजरंग दल, प्रिपेड मीडिया की जमात, सरकारी बल, दिल्ली पुलिस, सेक्स वीडियो, अफ़वाह, केजरीवाल के परिवार पर अशोभनीय, अभद्र, अपमान जनक भद्दे लाक्षण लगाना, भगोड़ा-भगोड़ा बोल कर अपमानित करना, पैसों को पानी की तरह बहाना, मानो मोदी जी ने यह ठान लिया था कि दिल्ली की जनता को अपने झूठ-प्रपंच के जाल में फंसा कर उनको ठग लिया जाए । परन्तु इन सबके बावजूद परिणाम जो सामने आये वह ऐतिहासिक थे । 54.2 प्रतिशत वोट 70 में 67 सीटों पर केजरीवाल की वापसी, मोदीजी को यह बताने के लिये काफी है कि यही लोकतंत्र हैं जिसे धन-बल और छल से ग़ुलाम नहीं बनाया जा सकता, ना ही स्व. इंदिरा गांधी के आपातकाल से ।
मोदी जी ने अपने उक्त प्रिपेड भाषण में पिछले अपने साढ़े चार सालों में किये कार्यों की चर्चा करते हुए अपने कार्यों की एक प्रकार से सफाई दे रहे थे। मानो उन्होंने जो कुछ भी किया वही सही था और जो गलत हुआ वह सब कांग्रेस के जमाने का था।
सर्जिकल स्ट्राइक पर साढ़े चार सालों के बाद उन्हें वे पल याद आने लगे जो सेना के जवानों के साथ गुजरे, मानो सर्जिकल स्ट्राइक के समय, प्रधानमंत्री इतने भावुक थे कि एक भी सेना मर जाता तो वे आत्महत्या कर लेते? वहीं उनके नाक के नीचे पाकिस्तान से चंद पाक आतंकवादी भारतीय सीमा के अंदर 'उरी' में आये और सर्जिकल स्ट्राइक कर के चले गये। सेना के 18 जवानों को मौत के घाट सुला गये और भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तानी सेना से ‘उरी घटना’ जांच करने में लग गये। लगातार पाकिस्तान, भारतीय जवानों के साथ कायरता पूर्ण कार्यवाही करता रहा और मोदी जी देश को गुमराह कर छुप कर नवाज शरीफ से मिलते रहे। भारतीय सेनाओं को कश्मीर की सड़कों पर जूतों से पिटवाते रहे व खुद मुफ्ती की सरकार में अनुच्छेद 370 पर गुप्त समझौता करते रहे। पाकिस्तान से सेना के दो ‘सर’ वापस लाने की बात दूर, इनकी आंखों के सामने भारतीय सेना के कई जवानों के सर कलम कर के साथ ले गये।
दूसरा उन्होंने नोट बंदी पर कहा कि - वे इसकी चेतावनी कई बार देते रहे। काला धन निकालने के लिए सरकार ने डिस्क्लोजर स्कीम भी लाई । मोदी जी यह बताने का कष्ट करेंगें कि डिस्क्लोजर स्कीम का ग़रीबों से क्या लेना देना था? 120 लोगों की जान ले लेने के बाद, देश की अर्थव्यवस्था को खोखला बना देने या फिर किसानों की, व्यापारियों की कमर तोड़ देने को मोदी जी अपनी सफलता मानतें हों तो फिर तो इस तुगलकी फरमान का दर्ज देना कहीं ज्यादा उपयुक्त होगा।
तीसरा उन्होंने जीएसटी को लेकर यह सफाई दी - कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया फैसला था। जब सर्वसम्मति का ही फैसला था और कांग्रेस कार्यकाल का ही निर्णय था तो इसमें मोदी की क्या भूमिका? अर्थात कांग्रेस की योजनाओं को लाभ मिले तो मेरा और हानि हो तो तेरा? अभी बंगाल के वित मंत्री अमित मित्रा ने एक चौंकाने वाला बयान दिया कहा कि ‘‘जीएसटी हवाला का कारोबार हो गया। चंद बड़े उद्योगपतियों ने इसे नकली रिफंड लेने का जरिया बना लिया है।" अर्थात भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहीं जानबूझ इन हवाला कारोबारियों के लिये सुराख तो नहीं छोड़ दिया?
चौथा राफेल को लेकर आपने कहा कि वे काम करते रहेगें - मोदी जी ने उच्चतम अदालत का हवाला तो दे दिया पर यह नहीं बोले कि अदालत के "एकतरफ़ा निर्णय" में जिन ख़ामियों को भारत सरकार ने भी चिन्हित कर उच्चतम अदालत को अपमानीत करने का काम आपकी सरकार ने किया "कहीं यह क्या चोर की दाढ़ी में तिनका तो नहीं ?"
अंत में राम मंदिर को लेकर एक कहानी याद आ गई - एक किसान ने एक तोता पाल रखा था । उनके परिवार के सभी सदस्य तोता को आते-जाते यही सिखाते ‘‘तोता ! राम-राम बोलो’’ तोता भी यह समझ जाता कि उसे ‘‘राम-राम’’ बोलने को कहा जा रहा है । परन्तु तोता "राम-राम" बोलने के बदले "चोर-चोर" चिल्लाने लगता । एक रात मोहल्ले का चौकीदार रात को, घर का आंगन सूना देखकर घुस आया । तोता जोर से ‘‘चोर-चोर’ चिल्लाने लगा । किसान ने चौकीदार को धर-दबोचा। तब चौकीदार ने अपना बचाव करते हुए दलील दी कि वह तो मोहल्ले का चौकीदार है। वह तो चोर को पकड़ने के लिये आया था ना कि चोरी करने । जयहिन्द !
शंभु चौधरी, लेखक एक स्वतंत्र प त्रकार हैं। आपने विधि स्नातक (LL.B) और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से एम.ए. (एमसी) की है।
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