10 तारीख के दिन 11.00 बजते-बजते ‘‘5 साल केजरीवाल’’ के नारे से दिल्ली गुंज उठा। एक के बाद एक भाजपा के उम्मीदवार मैदान में धूल चाटते नजर आये। जैसे ही चुनाव परिणाम 'आम आदमी' के पक्ष में आने लगे तो लगा कि किसी तरह 40 तक पंहुच जायेगा। जब 35...36.. 40.. के बाद अचानक 50..51.. पर विजयी होने के आंकड़े आने लगे तो कई लोगों के नीचे की जमीन घिसकने लगी। भाजपा दलाल सटोरियों ने अपने मोबाईल को स्वीचआॅफ कर दिये।
कोलकाताः (10 फरवरी 2015) दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम ईपीएम मेशीन से ज्यूं-ज्यूं बहार आने लगे, कई मीडिया हाउस जो झूटे ही भाजपा को शुरू में बढ़त दिखाने का ढोंग रचते रहे दिन सुबह के 10 बजते-बजते उनकी जुबान लड़खराने लगी और ईपीएम मेशीन से निकल के आंकड़े बोलने लगे। कलतक जो लोग ‘आम आदमी पार्टी’ के दफ्तर में ताला लगाने की बात बोलते थकते नहीं थे। लोकतंत्र की ताकत ने उनके जुबान पर ऐसा ताला जड़ दिया कि पांच साल तक रह-रहकर सरकार को ब्लैकमेल भी नहीं पायेगें।। मेरी रचना -
दिल्ली के चुनाव में आम आदमी की जीत ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र में अहंकार की कोई जगह नहीं है। आम आदमी पार्टी की सफलता ‘जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिये’ भारत के संविधान में सत्य को साकार कर दिया। भाजपा के नाकारात्मक प्रचार, धन की बर्वादी, अर्मादित और असभ्य भाषा का प्रयोग, 200 से अधिक सांसदों, कई केन्द्रीय मंत्री, प्रधानमंत्री स्वयं, भाजपा के अध्यक्ष की पूरी ताकत, संध परिवार, कई राज्यों के मंत्री-मुख्यमंत्री सबके-सब एक परिंदे के सामने धूल चाटते नजर आये।
मोदी जी ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिये जिन जुमले का प्रयोग कर कांग्रेस पार्टी को सत्ता से वेदखल किया था, उन्हीं जुमलों ने मोदीजी के अश्वमेध विजयी घोड़े को दिल्ली में रोक दिया। जिस विजयी यात्रा ने भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह सह प्रधानमंत्री श्री मोदीजी को अहंकारी बना दिया था, यही अहंकार भाजपा को दिल्ली में डूबा दिया। भाजपा और संघ की केडर बेस ताकत, किरण बेदी का मास्टर स्ट्रोक, चपलुस मीडिया का एक वर्ग, नाकारात्मक विज्ञापनों की झड़ी ये सब प्रहार केजरीवाल के मजबूत इरादों के सामने पानी भरते नजर आये। केजरीवाल के एक-एक शब्द इनलोगों पर भारी पड़ने लगे। त्रिकोणात्मक संर्घष में किसी एक राजनीति दल को 54.2 प्रतिशत मतों का मिलना भारत के चुनावी इतिहास अबतक सभी आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया।
10 तारिख के दिन 11.00 बजते-बजते ‘‘5 साल केजरीवाल’’ के नारे से दिल्ली गुंज उठा। एक के बाद एक भाजपा के उम्मीदवार मैदान में धूल चाटते नजर आये। जैसे ही चुनाव परिणाम 'आम आदमी' के पक्ष में आने लगे तो लगा कि किसी तरह 40 तक पंहुच जायेगा। जब 35...36.. 40.. के बाद अचानक 50..51.. पर विजयी होने के आंकड़े आने लगे तो कई लोगों के नीचे की जमीन घिसकने लगी। भाजपा दलाल सटोरियों ने अपने मोबाईल को स्वीचआॅफ कर दिये। परिणाम देखते-देखते कई लोगों की सांसे फूलने लगी। अबतक कांग्रेस पार्टी मैदान से बहार हो चुकी थी। तभी चुनाव आयोग की तरफ से एक सूचना आई कि ‘आम आदमी पार्टी’ को 54.2 प्रतिशत मिले हैं। तबतक रूझान अपने अंतिम चरण की तरफ कदम रख चुका था। आम आदमी -61, भाजपा-9, कांग्रेस - 0, और अन्य -0 । सभी की सांसें थम सी गई थी। आम आदमी पार्टी के दफ्तर में जश्न को माहौल था, भाजपा कार्यलय के बहार हल्की चहल-पहल थी और कांग्रेस के कार्यालय के बहार सन्नाटा छाया हुआ था। अंतिम चरण में मुकाबला एक तरफा हो गया था। ‘आप-65’ , ‘भाजपा -5’ ...आप-66, भाजपा-4 समाचार आया किरण बेदी चुनाव हार गई। अंतिम परिणाम ‘आप-67’ और ‘भाजपा-3’ केजरीवाल अपने मित्रों व धर्मपत्नी के साथ जनता के सामने आते हैं कहते हैं - यह आप‘की’ जीत है।
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