यह लड़ाई अकेले ‘केजरीवाल’ की नहीं है। आम आदमी यही चाहता है कि भारत की राजनीति में अच्छे लोग आयें। भले ही वह किसी भी दल से क्यों न जूड़ा हो। राजनीति के इस गंदे प्रदुषित वातावरण में 'आम आदमी पार्टी' का छोटा सा प्रयास है कितना कारगार सिद्ध हुआ हम और आप इस बात से ही अंदाज लगा लें कि दिल्ली चुनाव के ठीक ऐन वक्त पर कांग्रेस और भाजपा को साफ छवि के चेहरे को जनता के सामने रखना पड़ा। चुनाव में हार-जीत होती रहेगी। राजनीति को स्वच्छ बनाकर ही हम ‘‘स्वच्छ भारत का निर्माण’’ कर सकतें हैं।
कोलकाताः (05 फरवरी 2015) आज दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरम पर है। शाम पांच बजे से चुनाव प्रचार पर विराम लग जायेगा। इसके साथ ही विराम लग जायेगा भारत में गंदी राजनीति करने वाले उन मुनसबों पर जो पिछले 10 दिनों से दिल्ली में नाकारात्मक प्रचार में लगे हुए थे। विराम लग जायेगा जिनके हाथ किचड़ में सने थे उन पर, विराम लग जायेगा जो किचड़ में पैदा होते हैं। देश के कुछ के युवाओं का एक छोटा सा सपना पुनः जीवित हो उठेगा जिसे कुचलने के लिये भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी थी। चुनाव आयोग ने अपनी टिप्पणी पर राजनैतिक नेताओं की इस वयानबाजी पर काफी असंतोष व्यक्त किया है। हमें चुनाव आयोग की इस टिप्पणी को काफी गंभीरता से लेने की जरूरत है।
यह चुनाव भारत की राजनीति का एक आईना माना जायेगा। जिस मोदीजी को चंद दिनों पहले ही इसी जनता ने सर का ताज बनाया था, आज उसी जनता ने इनके घंमड को चकनाचूर करके रख दिया। एक चिराग को बुझाने के लिये ‘भाजपा’ ने क्या-क्या पापड़ नहीं सैंके। बल्की यह लिखा जाए कि क्या नहीं बेलन नहीं बेले। भारतीय संस्कृति की बात करने वाली ‘भाजपा’ ने व्यक्तिगत-जातिगत हमले तक करने से परहेज नहीं किया। चुनाव नहीं जैसे मोदीजी की ‘‘मूंछ की लड़ाई’’ हो गई। भाजपा मैदान से गौन हो चुकी थी।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ के नाम पर सिर्फ सड़कों की गंदगी को दूर करने का ढोंग करने वाले मोदीजी ने दिल्ली के इस चुनाव नाकारात्मक विज्ञापनों भरमार कर दी। जो लोकतंत्र में किसी भी रूप में स्वीकार नहीं हो सकता। आरोप-प्रत्यारोप लोकतंत्र में जरूरी है। लेकिन नाकारात्मक प्रचार और व्यक्तिगत-जातिगत हमले को जनता किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकती। आज लगता है आदरणीय श्री अटल जी के इस कथन को कि ‘‘किचड़ में फूल खिलेगा’’ का मायने को ही मोदीजी ने बदल डाला। दिल्ली के चुनाव में भाजपा खासकर मोदीजी के इस व्यवहार से देश को बड़ी निराशा ही हाथ लगी है। दिल्ली के चुनाव में देश की जनता ने यह देख लिया कि भाजपा के नेताओं में ठीक वैसा ही घंमड झलकने लगा जो कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस के नेताओं में देखा जा सकता था।
मोदीजी के सपने का ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से कुछ हटकर केजरीवाल के ‘स्वच्छ भारत निर्माण’ पर लोगों ने अपनी मोहर लगा दी। मोदीजी सड़कों की गंदगी साफ करने की बात करतें हैं वहीं केजरीवाल जी कहते हैं ‘‘भारत को अच्छा माहौल देना है तो अच्छे लोगों को इस गंदी राजनीति के अंदर आना होगा, तभी हम इस गंदगी को दूर कर पायेगें। आज जब हम किसी युवा से राजनीति की बात करतें तो उसका सीधा सा जबाब होता है - ‘‘राजनीति बहुत गंदी है’’ हमारे अंदर भी यही भावना भरी हुई थी। लेकिन अन्नाजी के आंदोलन के दौरान हमने महसूस किया कि कहीं से तो हमें इसे साफ करने की शुरूआत करनी ही होगी। यह लड़ाई अकेले की नहीं है। हम सबकी है। किरण जी का राजनीति में आना भी ‘‘बूराई पर अच्छाई’’ की एक जीत मानता हूँ। उनका स्वागत करता हूँ। वह मेरी बड़ी बहन है। कोई भी व्यक्ति साफ-सुथरे छवि का चेहरा अपनी इच्छानुसार किसी भी राजनीति दल का सदस्य बने इसमें कोई अड़चन नहीं। हमें युवाओं के अंदर व्याप्त इस हीन भावना को दूर करना होगा कि ‘‘राजनीति बहुत गंदी है’’ राजनीति बहुत अच्छी है। इसे चंदलोगों ने गंदा बना डाला है।’’
यह लड़ाई अकेले ‘केजरीवाल’ की नहीं है। आम आदमी यही चाहता है कि भारत की राजनीति में अच्छे लोग आयें। भले ही वह किसी भी दल से क्यों न जूड़ा हो। राजनीति के इस गंदे प्रदुषित वातावरण में 'आम आदमी पार्टी' का छोटा सा प्रयास है कितना कारगार सिद्ध हुआ हम और आप इस बात से ही अंदाज लगा लें कि दिल्ली चुनाव के ठीक ऐन वक्त पर कांग्रेस और भाजपा को साफ छवि के चेहरे को जनता के सामने रखना पड़ा। चुनाव में हार-जीत होती रहेगी। राजनीति को स्वच्छ बनाकर ही हम ‘‘स्वच्छ भारत का निर्माण’’ कर सकतें हैं। जयहिन्द! वंदे मातरम्
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