जब ये लोग हिटलर के पापों को गिनाते नहीं थकते, तो 1918 से लेकर 1933 तक के खुद के पापों पर पर्दा क्यों डाल रहे हैं जिसमें यहूदियों ने साम्यवाद का सहारा लेकर पूरे जर्मन को समाप्त करने की योजना पर कार्य कर रहे थे। हिटलर कोई जमीन से पैदा नहीं हुआ था? उसको व उसके विचारों को पैदा करने में साम्यवादी ताकतों का जूल्म और जर्मन की जनता पर यहूदियों का अत्याचार काफी हद तक जिम्मेदार रहा है।
जैसे-जैसे देश आगामी लोकसभा के चुनाव की तरफ बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे सत्ताधरी दल अभी से ही विपक्ष की मुद्रा में दिखाई देने लगी है। कोई हिटलरवाद या फासिस्टवाद की तुलना श्री नरेन्द्र मोदी कर रहा है तो कोई अपना संयम खोते जा रहा है। कोई शैतान कहता है तो कोई चायवाला। इससें तो यही लगता है कि सच में मोदी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो चुके हैं। मजे की बात तो यह है कि जो माकपा खुद फासिस्टवाद की परिचायक रही है जिसके अत्याचारों के परिणाम स्वरूप हिटलर का जन्म हुआ वह भी इस सत्ता के महायुद्ध में एक कदम आगे है।
जिस साम्यवादी ताकतों ने ना सिर्फ जर्मन को बर्वाद कर दिया था जर्मनी को बेरोजगारी के कगार पर भी ला खड़ा कर दिया था। इनके राज्य में अपने विरोधियों को गोली से भून देना या उनको जेलों में डाल देना आम बात थी। इनके जूल्म का इतिहास ना सिर्फ भयावीत करनेवाला था, मानवता को भी शर्मसार करता था जब पूरा जर्मन इन साम्यवादी ताकतों के आतांक से कांपने लगा था। तब हिटलर का उदय हुआ था। इनको यह इतिहास भी साथ-साथ बताना नहीं भूलना चाहिए। यहूदियों के साथ मिलकर नाजी समूदायों पर एकतरफा जूल्म करना इनका इतिहास रहा है।
1918 से लेकर 1933 के बीच के अपने पापों के इतिहास को छुपाकर सिर्फ हिटलर के उस पक्ष को सामने रखना इनकी पुरानी आदत सी रही है। जिस प्रकार इन दिनों सेक्युलरवादी दलों के द्वारा प्रयोजित सांप्रदायिक आतांकवाद को समर्थन देकर देश में आई.एस.आई को फलने-फूलने का माहौल पैदा करने देना और अपने विरोधियों को सांप्रदायीक कहना आम है।
अपने पापों पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस पार्टी, तथा तथाकथित ये सेक्लुलरवादी दल और साम्यवादी ताकतों ने मिलकर देश में मोदी लहर को हिटलर फासिस्टवाद की संज्ञा देने की योजना पर कार्य कर रहें हैं। इसके लिए देश के कुछ विद्वानों को हिटलर का इतिहास भी पढ़ाया जा रहा है ताकि देश में लोकसभा का चुनाव आते-आते मोदी के विरूद्ध एक अच्छा जनमानस तैयार किया जा सके। जब इनको लगा कि देश में सेक्लुलरवाद फसल और काटी नहीं जा सकती तो इन लोंगो ने हिटलरवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया ताकि देश की जनता को बताया जा सके कि हिटलरवाद कितना खतरनाक था।
जब ये लोग हिटलर के पापों को गिनाते नहीं थकते, तो 1918 से लेकर 1933 तक के खुद के पापों पर पर्दा क्यों डाल रहे हैं जिसमें यहूदियों ने साम्यवाद का सहारा लेकर पूरे जर्मन को समाप्त करने की योजना पर कार्य कर रहे थे। हिटलर कोई जमीन से पैदा नहीं हुआ था? उसको व उसके विचारों को पैदा करने में साम्यवादी ताकतों का जूल्म और जर्मन की जनता पर यहूदियों का अत्याचार काफी हद तक जिम्मेदार रहा है। देश में साम्यवादी ताकतों का हर वक्त यह प्रयास रहा है कि वे भारत की सत्ता पाने या सत्ता पर ऐण-केण प्रकारेण अपना अधिकर जमाने का प्रयास करे। इनको इसमें अभी तक सफलता नहीं मिलती दिखाई देती तो ये एक मिथ्यक इतिहास का सहारा लेकर जिससे भारत को कोई लेने-देना नहीं को माध्यम बनाकर से देश में कांग्रेस के खिलाफ बनते जनमानस को अपने पक्ष में करने की जी तौड़ कोशिश करने में लगे हैं। कोशिश अच्छी है। परन्तु देश की कीमत पर यह कोशिश क्यों?
जब देश के जवानों का सर कलम कर पाकिस्तानी ले जा रहे थे तब ये लोग कहां गायब हो गये थे ? एक-एक संसाद जो चून कर संसद में गए थे जैसा कि ये लोग अण्णा आंदोलन के समय कहते नहीं थकते थे, देश की जनता इनका चून-चून कर हिसाब चूकता करेगी।
Best bro Hitler was great
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