प्रकाश चंडालिया
पश्चिम बंगाल विधान सभा में अंततः हिन्दी और राजस्थानी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि कन्हैयालाल सेठिया को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यह राजस्थानी मूल के एक मात्र विधायक दिनेश बजाज के प्रयास से मुमकिन हुआ. आपको याद होगा इसी ब्लॉग पर विधानसभा भूल गई सेठिया जी को श्रद्धांजलि देना-शीर्षक से २३ नवम्बर को अत्यन्त कड़े प्रतिवाद के साथ इस विषय पर लिखा गया था। पिछले २३ नवम्बर को पश्चिम बंगाल विधान सभा में हिन्दी और बंगला जगत की कुछ नामचीन हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. कला, साहित्य और संस्कृति से जुड़े, ये वो लोग थे, जिनका हाल में निधन हुआ था. वैसे जिन लोगों को विधान सभा में २३ नवम्बर को श्रद्धांजलि दी गई, उनमे दो एक नाम ऐसे भी थे, जिन्हें सिर्फ़ वामपंथियों का परिचित होने के लिए शामिल कर लिया गया था. पर दुःख इस बात का था की भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से विभूषित कन्हैयालाल सेठिया का नाम इसमे शामिल नही था. सेठिया जी का जन्म राजस्थान के सुजानगढ़ में हुआ था, लेकिन पिछले लंबे अरसे से वे कोलकता में ही रहते थे और देश की तमाम बड़ी हस्तियां उनसे मुलाकात करने उनके निवास पर ही आती थी। विधान सभा ने २३ नवम्बर को उन्हें इसलिए श्रद्धांजलि न दी होगी क्यूंकि सेठिया जी की काव्यमयी विचारधारा इन सत्ताधारी वामपंथियों के विचारों से मेल नही खाती थी. बहरहाल, युवा विधायक दिनेश बजाज ने इसके ख़िलाफ़ आवाज उठाई और इसका नतीजा यह हुआ की मंगलवार २ डिसेम्बर २००८ को पश्चिम बंगाल विधान सभा में सेठिया जी का परिचय पढ़ा गया, फ़िर सभी विधायकों ने २ मिनट का मौन धारण कर उन्हें याद किया. देर आयद, दुरुस्त आयद...
चलिए सद् बुद्धि तो आयी लोगों को
जवाब देंहटाएं- अनिल वर्मा, पटना
कन्हेया लाल सेठिया को मेरी भी हार्दिक श्रधांजलि | उनकी कालजयी रचना " अरे घास री रोटी ही " रोज सुनने को मन करता है |
जवाब देंहटाएंयुवा विधायक दिनेश बजाज की इस कोशिश को साधुवाद