| धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी गरीबी पैसा कमाने के सपने तो होंगे पर जरूरत नहीं होगी जरूरत पूरी करने की चुभन तो होगी पर एहसास मर जाएगा न्यूज प्रिंटर की तरह धड़ाधड़ बाहर आएंगी जरूरतें चिल्लाएंगी हंगामा करेंगी पर अधूरी जरूरतें पूरी होने वाली जरूरतों का घोंट देंगी गला सुबह का अखबार कौन पढ़ना चाहेगा अल्सुबह काम पर जाना होगी सबसे बड़ी जरूरत तब रात में निकलने शुरू होंगे अखबार या तब जब कोई उन्हें पढ़ने की जरूरत जताएगा दिन भर बिना कमाये लौटेगा आदमी रात में काम पर जाएंगी औरतें, लगी रहेंगी काम में यक्ष प्रश्न बार-बार परीक्षा लेगा उनकी किसका बिस्तर गर्म करें कितनों का बिस्तर गर्म करें कि गरम हो सके सुबह का चूल्हा बिस्तर गरम कराने वाले छोड़ चुके होंगे शहर शहर के अस्पताल भरे होंगे उनसे हाहाकार मचा होगा अस्पतालों में- ऊं जूं सः मा पालय, ऊं जूं सः मा पालय पालय। बच्चे निकलेंगे पूरा परिवार संगठित होकर कमाएगा और पाएगा फूटी कौड़ी तब जागेगा प्यार आर्थिक अभाव में प्यार भूख में होगा पर भूख न लगेगी बाजारवाद की व्याख्या करके विजयी भाव से भर जाएगा प्यार इतिहासकारों का शरीर फट चुका होगा अर्थशास्त्रियों के भेजे में हो जाएगा कैंसर या मधुमेह से मारे जा चुके होंगे सब के सब जनता का आदर्श हो जाएगा आर्थिक अभाव पूंजी का कोई अर्थ न रह जाएगा जो पूंजी वाला होगा, वही सबसे गरीब होगा पैसे वाला पैसे वाले से दूर भागेगा जो जितना अमीर होगा उतना अश्पृश्य हो जाएगा जो जितना गरीब होगा उतना अपना होगा पूंजी के साथ आने वाले मर्ज उड़न छू हो चुके होंगे
मुझे भूतों की दुनिया दिखती है
उस दुनिया में मारामारी नहीं है आदमी भड़ुआ नहीं है औरत बाजारी नहीं है बच्चों के आगे बड़ा होने की लाचारी नहीं है बड़ी हो रही है भूतों की दुनिया समय के सहवास में हुए स्खलन से हो रहा है उसका जनम किसी पल कबीर की उलटबांसियों की तरह सामने आकर खड़ी हो सकती है भूतों की दुनिया उनकी आंखों में लाल डोरे फैलने लगे हैं जाप चल रहा है चल रहा है और तेज हो रहा है तीव्रतम हो रहे हैं उनके स्वर- परित्राणाय साधुनाम......
भूतों की हथियार मंद दुनिया से हमले का अंदेशा लगता है |
पवन निशांत का परिचय
जन्म-11 अगस्त 1968, रिपोर्टर दैनिक जागरण, रुचि-कविता, व्यंग्य, ज्योतिष और पत्रकारिता
पता: 69-38, महिला बाजार,
सुभाष नगर, मथुरा, (उ.प्र.) पिन-281001
E-mail: pawannishant@yahoo.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें