नहीं रहे.... अमर गीत
धरती धोरां री !
आ तो सुरगां नै सरमावै,
ईं पर देव रमण नै आवै,
ईं रो जस नर नारी गावै,
धरती धोरां री !
के रचनाकार
युगकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया
कथा-व्यथा की तरफ से हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि
कथा-व्यथा का इस माह का अंक श्री सेठिया जी को समर्पित
http://kathavyatha.blogspot.com/
नोट: अगले माह हेतु आपकी नई सामग्री आमंत्रित की जाती है।
शम्भु चौधरी
संपादक,
कथा-व्यथा
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