सोमवार, 16 जून 2008

सभ्य समाज के पहरेदारों!


इटावा जिले के एक गांव में जमीन के विवाद में वहां की स्‍थानीय पुलिस ने विवाद को समाप्त करने के लियें जो कार्य किया उससे यह सिद्ध कर दिया कि निजाम चाहे जो भी हो लेकिन पुलिस की कार्य प्रणाली में कोई बदलाव नही आने वाला है । थानों में बडे-बडे बोर्ड लगाकर मानवधिकार का पाठ पढाने वाली पुलिस यहां पर सरे राह पुलिस मानवधिकार को धता बता रही है । एक महिला (जिसे सभ्‍य समाज मे अबला भी कहा जाता है) के बाल पकड़ कर पिटायी करती हुयी ले जा रही है । साभार : दैनिक जागरण ।

सभ्य समाज के पहरेदारों!
देखो मानव आज,
इनकी भृकुटी तनी हुई है,
चहरे पे रोआब,
मानो कोई जीत लिया हो
सारा हिन्दुस्तान।
बात-बात में अड़ जाते हैं
सत्ता की ले धार....
इनको सबक मिलेगी तब,
गूंगी संसद में होगी,
जब महिलाओं की आवाज। - शम्भु चौधरी

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